श्री भरत मन्दिर के पृष्ठ भाग में पश्चिम की ओर स्थित भगवती दुर्गा के मन्दिर को ही भद्रकाली का मन्दिर कहा जाता है। स्कन्द पुराण के केदार खंड में इस स्थान का महात्मय बताया गया है। स्कन्द महर्षि नारद से कहते हैं:
माहेश्वरी के नाम से विख्यात यह स्थान सब प्रकार की सिद्धियों को प्रदान करने वाला है, इस स्थान पर स्वयं साक्षात् रुद्र (शिव) भी अन्य देवगणों सहित सन्निहित रहते हैं। कुब्जिका तंत्र के सप्तम पटल में सिद्ध पीठों की गणना में हृषीकेश का उल्लेख किया गया हैः
महानील तंत्र पंचमपटल में भी कुब्जाम्रक (हृषीकेश) की गणना की गई है। पौराणिक आख्यानों के अनुसार भगवती पार्वती ने काली का रुप धारण कर राक्षसों का संहार किया। काली के उस रुप के दर्शन देवताओं के साथ भगवान शंकर ने भी किए।
इस पवित्र शक्ति पीठ की स्थापना के सम्बन्ध में यह अनुश्रुति प्रचलित है कि त्रेतायुग में जब दशरथ पुत्र भरत हृषीकेश नारायण की उपासना हेतु अन्तिम समय यहां आए, तब उन्होने श्री राम द्वारा रावण विजय से पूर्व उपासित भगवती माहेश्वरी (भद्रकाली) के इस मन्दिर की स्थापना की। वर्तमान मन्दिर कटे पाषाण खंडो से निर्मित किया गया है। पौराणिक आख्यानों में विदित होता है कि मध्यकाल में इस मन्दिर में बलि प्रथा प्रचलित रही जो कि बहुत पहले बंद कर दी गई थी। देवी माहेश्वरी की महिमा स्कन्द पुराण के केदार खंड में इस प्रकार कही गई है-
Copyright © 2017 Shri Bharat Mandir. Design by Webline