सर्वाजनोपयोगी कार्य

इस प्राचीन मन्दिर के इतिहास से ही इस नगर का इतिहास शुरु होता है। धीरे-धीरे लोग यहां बसने लगे, अतः उनकी शैक्षिक आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु स्व. महन्त परशुराम जी महाराज ने 1941-42 में श्री भरत मन्दिर स्कूल सोसाइटी की स्थापना की। इस संस्था का शैक्षिक व सामाजिक सेवा में उल्लेखनीय योगदान रहा है।

श्री भरत संस्कृत महाविद्यालय

पावन पवित्र माँ गंगा के सुरम्य तट पर हृषीकेश नारायण श्री भरत जी महाराज के पौराणिक श्री भरत मन्दिर परिसर में तत्कालीन धर्मानुरागी, भगवद्स्वरुप महन्त श्री परशुराम महाराज जी द्वारा भारतीय संस्कृति एवं संस्कृत शिक्षा के संरक्षण एवम् संवर्धन के लिए 11 मार्च 1921 में श्री भरत संस्कृत महाविद्यालय की स्थापना की गयी। प्रारम्भ में सम्पूण्र् आनन्द संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी से संबद्ध यह विद्यालय इस समय उत्तराखण्ड शासन के संस्कृत शिक्षा विभाग से संबद्ध एवं मान्यता प्राप्त है। छात्रों के लिए निःशुल्क शिक्षा, आवास व भोजन की सुविधा उपलब्ध है।

निर्धारित पाठ्यक्रम के अतिरिक्त प्राच्य विषयों जैसे-वेद, पोरोहित्य, ज्योतिष एवं कर्म काण्ड का शिक्षण व प्रशिक्षण भी दिया जाता है। वर्तमान में श्री भरत मन्दिर के पूज्यपाद महन्त श्री अशोक प्रपन्नाचार्य जी महाराज के मार्गदर्शन में यह विद्यालय भारतीय संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन तथा संस्कृत शिक्षा के उत्थान के लिए निरन्तर अपना योगदान दे रहा है।

श्री भरत मन्दिर इन्टर कॉलेज

नगर एवं क्षेत्र में आधुनिक शिक्षा की महती आवश्यकता पूर्ति हेतु सन् 1941-42 में परम सम्मानीय महन्त परशुरामजी महाराज ने मन्दिर परिसर में ही एक छोटा सा विद्यालय स्थापित किया, जो आज पूर्णरूपेण विकसित इन्टर कॉलेज के रूप में हरिद्वार मार्ग पर अपने विशाल सभागार एवं क्रीड़ांगन जैसी सुविधाओं से युक्त भव्य भवन में लगभग 3000 छात्र-छात्राओं को शिक्षा प्रदान कर नगर एवं क्षेत्र में एक आदर्श शिक्षा संस्था के रूप में कार्यरत है। विद्यालय के सभासागर ने नगर के सांस्कृतिक एवं साहित्यिक कार्यक्रमों के आयोजन केन्द्र के रूप में एवं क्रीड़ांगन ने नगर के युवा खिलाड़ियों को खेलकूद के क्षेत्र में आगे जाने के अवसर प्रदान किये हैं।

वास्तव में अपने जन्म से ही इस संस्था ने स्वयं को क्षेत्र एवं प्रदेश की आर्दश शिक्षा संस्था के रूप में गौरवान्वित किया है। इस विद्यालय के विकास में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन केबिनेट मंत्री स्व0 शान्ति प्रपन्न शर्मा जी का विशेष योगदान रहा है। हृषीकेश नारायण श्रीभरत जी महाराज की अहैतुकी कृपा एवं पूज्य महंत श्री अशोक प्रपन्नाचार्य जी महाराज के आशीर्वाद से तथा सोसाइटी के सचिव श्री हर्षवर्धन शर्मा जी के कुशल नेतृत्व एवं मार्ग दर्शन में ये सभी शिक्षा संस्थाऐं जन सेवा में अग्रसर हैं।

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ज्योति विशेष विद्यालय

यथा नाम तथा गुणाः की उक्ति के अनुसार ज्योति उन सबके लिए प्रकाशपुंज के समान है, जो अल्प सुविधा प्राप्त, अल्प-विकसित एवं अक्षम है।

उत्तराखण्ड राज्य के हृषीकेश शहर में मंदबुद्धि बच्चों के शिक्षण व प्रशिक्षण हेतु श्रीभरत मन्दिर स्कूल सोसाइटी द्वारा 12 अप्रैल, 1993 को ज्योति स्पेशल स्कूल की स्थापना की गई।

ज्योति अपने ही ढंग की अनूठी संस्था है, यह एक विशेष विद्यालय है, जहाँ मानसिक रूप से अक्षम एवं अन्य शारीरिक विकलांगता से ग्रस्त बच्चों को आत्मनिर्भरता एवं पुनर्वास का प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है।

शिक्षाविदों, समाजसेवियों एवं प्रशासकों द्वारा ज्योति की समाज-सेवा के क्षेत्र में सोसाइटी के इस स्तुत्य प्रयास की भूरि-भूरि प्रशंसा एवं सराहना की जाती रही है।

ज्योति स्पेशल स्कूल का भवन बच्चों की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है। स्कूल डे-केयरसेंटर है।

विद्यालय में मंदबुद्धि एवं मूक-बधिर बच्चों को विशेष प्रशिक्षकों द्वारा शिक्षण व प्रशिक्षण दिया जाता है। नवजात शिशुओं के समुचित मानसिक विकास की जांच हेतु अर्ली इंटरवेंशन सेंटर की स्थापना की गई है। बच्चों के लिए कम्प्यूटर शिक्षा व्यवस्था है। स्पीच थैरेपी व फिजियोथैरेपी के आधुनिकतम उपकरण उपलब्ध हैं। स्पीच थैरेपी सेंटर में मूक-बधिर बच्चों को सही उच्चारण करने का प्रशिक्षण एवम् हकलाने का उपचार किया जाता है। फिजियोथैरेपी सेंटर में विभिन्न व्यायामों के अभ्यास द्वारा उनके शारीरिक विकास का प्रशिक्षण दिया जाता है।

विद्यालय के छात्र-छात्रायें राष्ट्रीय एवं अन्र्तराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग करते रहते हैं। विद्यालय के छात्र-छात्राओं ने विशेष ओलम्पिक प्रतियोगिता में चीन, अमेरिका, आदि देशों में प्रतिभाग कर पदक हासिल करके प्रदेश का ही नही देश का नाम रोशन किया है।

लाॅस एंजिलोस विशेष आॅलम्पिकस 2015 में पदक विजेता छात्र

विद्यालय की कार्यशाला में विशेष बच्चों को डस्टर, चादरें, दरियां, पायदान, मोमबत्ती, लिफाफे बनाना एवं सिलाई कढ़ाई व पेंटिंग करना तथा हस्तशिल्प जैसे-मिट्टी के दिये, बर्तन और खिलौने आदि बनाने का प्रशिक्षण देकर इन्हें स्वावलंबी बनाने की दिशा में व्यवसायिक प्रशिक्षण दिया जाता है।

विशेषज्ञों एवं अध्यापकों की टीम नियमित रूप से न केवल नगर के मलिन बस्तियों, बल्कि सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों का सर्वेक्षण करती है तथा ऐसे बच्चों और उनके अभिभावकों के सहायतार्थ प्रशिक्षण एवं परामर्श शिविरों का आयोजन करती है।

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श्री भरत मन्दिर पब्लिक स्कूल

हृषीकेश में एक आदर्श अंग्रेजी माध्यम के गुणात्मक शिक्षा हेतु स्कूल सोसाइटी ने सन् 1997 में श्री भरत मन्दिर पब्लिक स्कूल की स्थापना की। C.B.S.E. नई दिल्ली से संबद्ध इस स्कूल में अच्छी शिक्षा सुविधाओं की व्यवस्था की गई है, स्मार्ट क्लासेज, कम्प्यूटर शिक्षा, पाठ्यक्रम सहगामी क्रिया कलाप, खेलकूद, योग, संगीत आदि की सुविधायें छात्र-छात्राओं के शिक्षण- प्रशिक्षण हेतु उपलब्ध है।

एक विशाल सामूहिक प्रार्थना स्थल, मनोरम वाटिका, खेल सामग्री आदि की समुचित व्यवस्था है। मन्दिर के पवित्र परिसर में स्थित होने के कारण छात्रों को भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों की शिक्षा की सुविधा है।

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अन्य कल्याणकारी योजनायें

श्री मन्दिर परिवार का इस क्षेत्र के सामाजिक व शैक्षिक विकास में उल्लेखनीय योगदान रहा है। पं0 ललित मोहन राजकीय स्नाकोत्तर महाविद्यालय ऋषिकेश, रीटा इण्टर कॉलेज श्यामपुर एवं पं0 शान्ति प्रपन्न शर्मा राजकीय चिकित्सालय ऋषिकेश के लिए भूमि प्रदान की गयी है। नगर में नेहरु पार्क के लिए भी भूमि प्रदान की गयी है जिसमें वर्तमान में अम्बेडकर प्रतिमा स्थापित है।