मन्दिर परिसर में उत्खनन से उपलब्ध एवं उत्तर प्रदेश पुरातत्व विभाग द्वारा पंजीकृत और प्रमाणित मूर्तियों, अलंकृत ईंटों एवं पात्रों को संग्रहालय में सुरक्षित एवं संरक्षित किया गया है।
इन अमूल्य कृतियों का अनुमानित काल लगभग तीसरी शती ईस्वी से चैदहवीं शती है। यक्ष-यक्षिणी, चतुर्भुजी विष्णु, शेर एवं घंुघराले बालों वाली मानवाकृति विशेष रुप से उल्लेखनीय है।
हृषीकेश में यह संग्रहालय इतिहासकारों एवम् पुरात्तव विदों को इस क्षेत्र के अध्ययन हेतु प्रेरित करता है तथा सामान्य जनगण को अपनी अमूल्य वैभव पूर्ण विरासत से परिचित कराता है।
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