
पावन पवित्र माँ गंगा के सुरम्य तट पर हृषीकेश नारायण श्री भरत जी महाराज के पौराणिक श्री भरत मन्दिर परिसर में तत्कालीन धर्मानुरागी, भगवद्स्वरुप महन्त श्री परशुराम महाराज जी द्वारा भारतीय संस्कृति एवं संस्कृत शिक्षा के संरक्षण एवम् संवर्धन के लिए 11 मार्च 1921 में श्री भरत संस्कृत महाविद्यालय की स्थापना की गयी। प्रारम्भ में सम्पूण्र् आनन्द संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी से संबद्ध यह विद्यालय इस समय उत्तराखण्ड शासन के संस्कृत शिक्षा विभाग से संबद्ध एवं मान्यता प्राप्त है। छात्रों के लिए निःशुल्क शिक्षा, आवास व भोजन की सुविधा उपलब्ध है।

निर्धारित पाठ्यक्रम के अतिरिक्त प्राच्य विषयों जैसे-वेद, पोरोहित्य, ज्योतिष एवं कर्म काण्ड का शिक्षण व प्रशिक्षण भी दिया जाता है। वर्तमान में श्री भरत मन्दिर के पूज्यपाद महन्त श्री अशोक प्रपन्नाचार्य जी महाराज के मार्गदर्शन में यह विद्यालय भारतीय संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन तथा संस्कृत शिक्षा के उत्थान के लिए निरन्तर अपना योगदान दे रहा है।
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